Ekadashi kab hai एकादशी कब है? 2024
एकादशी – मनुष्य के मन, मस्तिष्क और मोक्ष का महत्व ?
एकादशी, हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण दिन है जो चंद्रमा के हर दो सप्ताह में आता है। ये दिन विष्णु भगवान को समर्पित है और भक्ति में विशेषता रखता है।
एकादशी का अर्थ: (Ekadashi kab hai एकादशी कब है? 2024)
“एकादशी” का शब्दिक अर्थ होता है “ग्यारह” या “एक-ईस”। ये दिन चंद्रमा के दो सप्ताह (11 दिन) के अंतराल पर आता है। हिंदू पंचांग के अनुरूप, ये दिन विष्णु भगवान को समर्पित होता है।
वैदिक दर्शन में महत्व:
वैदिक दर्शन में एकदशी का महत्व प्रकृति के संचलन और मनुष्य के शारीरिक-तांत्रिक परिप्रेक्षा से जुड़ा है। चंद्रमा के अष्ट-अस्थ स्थितियों से मानव शरीर पर प्रभाव पड़ता है। एकादशी के दिन चंद्रमा की क्रिया सबसे अधिक होती है, जो व्यक्ति के शरीरिक और आत्मिक शुद्धि में सहायक होती है।
उपवास का महत्व:
एकदशी को उपवास रख कर मनुष्य अपने शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है। इस दिन अनाज, दूध, फल, सब्जी आदि का त्याग किया जाता है। इस शरीर के अन्दर की गन्दगी बहार निकलती है और शरीर की शक्ति बढ़ती है।
भक्ति और परमार्थ:
एकादशी पर भक्ति और ध्यान का महत्व अधिक होता है। विष्णु भगवान के इस दिन को विशेष रूप से पूजा जाता है। सत्संग और ध्यान से मनुष्य की शुद्धि और आत्मिक विकास होता है।
वैदिक ग्रन्थों में एकादशी:
पुराणों में एकादशी का वर्णन मिलता है। भागवत पुराण, पद्म पुराण और ब्रह्म वैवर्त पुराण में इस दिन की महिमा का बखान किया गया है। भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए एकादशी व्रत का पालन किया जाता है।
विविध प्रकार के व्रत:
एकादशियों के विभिन्न प्रकार होते हैं – निर्जला एकदशी (बिना पानी के व्रत), योगिनी एकदशी, कामदा एकदशी, मोहिनी एकदशी, आदि। हर एकदशी का अपना महत्व और विधान होता है
लोकप्रिय अनुष्ठान:
एकादशी के दिन जागरण करना, विष्णु सहस्रनाम पाठ करना, मंदिर जाना, अन्नदान करना, और सत्संग में भाग लेना कुछ लोकप्रिय रस्मों में से कुछ है।
धार्मिक सम्प्रदाय में महत्व:
हिंदू धर्म में एकादशी का महत्व सभी संप्रदायों में है। हर संप्रदाय अपने तरीके से इस दिन को महत्व देता है और व्रत का पालन करते हैं। एकादशी एक ऐसे दिन का प्रतीक है जो मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सितारे पर उन्नति देता है। ये दिन आदमी, मस्ती और मोक्ष का महत्व रखता है। एकादशी, अलग-अलग संस्कृतियाँ और धर्मों में समृद्ध परम्पराओं का उद्धार है। भले ही विभिन्न विशेषायें हों, लेकिन एकादशी सभी की एकजुट होकर महत्व मानती है।
ऐतिहासिक महत्व:
एकदशी का इतिहास पुराणों में उल्लेख किया गया है। ये दिन मनुष्य के शरीर और आत्मिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन उपवास रखने से मन ,मस्तिक्शा और शरीर को शांति मिलती है। एकदशी, हमारे पुराणों में महान घटनये लेकर आयी है। ये दिन शारीरिक और आत्मिक शुद्धि का दर्पण है, जिसमें हमें साफ करने का मौका मिलता है। इस दिन के प्राणियो के लिए अनमोल कथाएं और किस्से एक अद्भुत महत्व रखते हैं।
आत्मिक उत्कर्ष:
एकादशी के दिन मंत्र जाप, ध्यान और सत्संग का महत्व अधिक होता है। मनुष्य अपने अन्दर की शक्तियों को जगाता है और परमात्मा की या समय देते हैं, आत्मिक प्रगति करते हैं।
एकदशी का महत्वा सिर्फ अनुष्ठान में नहीं, बाल्की आत्मिक मुक्ति की ओर भी दिखता है। ये दिन आत्मिक विकास और परमात्मा से जुड़ने की दिशा में हमें प्रेरित करता है।
एकदशी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होती है। ये एक ऐसा दिन है जो हमें अंदर की शांति और आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाता है।
व्रत का महत्तव:
क्या दिन व्रत रखने से शरीर साफ-सफाई होती है। इसके अलावा, व्रत का पालन करने से मन और इंद्रियां नियमित रहती हैं जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उद्धार की या ले जाता है। एकदशी का व्रत रखना एक प्रचलित प्रथा है। परंतु व्रत केवल भोजन से नहीं, बल्कि अपने विचारों और व्यवहार पर भी निमंत्रण का संदेश देता है। ये व्रत व्यक्ति को आत्मनिग्रह में सहायता करता है, आत्मिक विकास की या ले जाता है।
एकादशी व्रत के नियम:
साल भर में 24 एकादशी आती हैं। पद्म पुराण में एकादशी के व्रत के बारे में काफी वर्णन किया गया है। पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति साल की 24 एकादशी का व्रत रखता है और वह भोग और मोक्ष का अधिकारी हो जाता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से परम पद को पाता है। पद्म पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत के नियम के अनुसार, एकादशी से एक दिन पहले व्यक्ति को एक समय का भोजन त्यागना होता है। एकादशी के दिन शाम के समय फलहार किया जाता है। अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद ही उपवास समाप्त होता है।
विशेष संदेश:
एकादशी पर भक्ति और ध्यान का महत्व है, लेकिन ये दिन सिर्फ भोजन से ही नहीं है। यह दिन व्यक्ति को साहस और समर्पण का भी संदेश देता है। एकादशी हिम्मत, लगन और समर्पण का संदेश देती है। इस दिन की महिमा, विद्या और आत्मिक उन्नति के मार्ग को प्रकाशित किया जाता है। इस दिन की महिमा को समझें, हम अपने जीवन को सुंदर बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
सर्वव्यापि सन्देश:
एकादशी, अनेकता में एकता को भी दर्शाती है। भले ही विभिन्न धर्म और संप्रदाय हों, लेकिन सभी में एकादशी का महत्व समान रूप से मनाया जाता है।
इस प्रकार, एकदशी एक ऐसे दिन का प्रतीक है जो मनुष्य को शारीरिक बनाता है, मानसिक और आध्यात्मिक सितारा उन्नति फैलाता है। इस दिन की महिमा को समझें, हम अपने जीवन में समृद्धि और शांति को प्राप्त कर सकते हैं।
Ekadashi calendar 2024:
एकदशी का महत्वा सिर्फ अनुष्ठान में नहीं, बाल्की आत्मिक मुक्ति की ओर भी दिखता है। ये दिन आत्मिक विकास और परमात्मा से जुड़ने की दिशा में हमें प्रेरित करता है।
एकदशी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होती है। ये एक ऐसा दिन है जो हमें अंदर की शांति और आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाता है।
एकदशी 2024 तिथियाँ (Ekadashi 2024 dates)
पोष माह 2024
- सफला एकादशी (पौष कृष्ण) 7 जनवरी 2024.
- पुत्रदा एकादशी (पौष शुक्ल) 21 जनवरी 2024.
माघ माह 2024
- षट्तिला एकादशी (माघ कृष्ण) 6 फरवरी 2024.
- जया एकादशी (माघ शुक्ल) 20 फरवरी 2024.
फाल्गुन माह 2024
- विजया एकादशी (फाल्गुन कृष्ण) वैष्णव 7 मार्च 2024.
- आमलकी एकादशी (फाल्गुन शुक्ल) 20 मार्च 2024.
चैत्र माह 2024
- पापमोचनी एकादशी (चैत्र कृष्ण) 5 अप्रैल 2024
- कामदा एकादशी (चैत्र शुक्ल) 19 अप्रैल
वैशाख माह 2024
- वरुथिनी एकादशी (वैशाख कृष्ण) 4 मई 2024
- मोहिनी एकादशी (वैशाख शुक्ल) 19 मई 2024
ज्येष्ठ माह 2024
- अपरा एकादशी (ज्येष्ठ कृष्ण) वैष्णव 3 जून 2024
- निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ल) 18 जून 2024
आषाढ़ माह 2024
- योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्ण) 2 जुलाई 2024
- हरिशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल) 17 जुलाई 2023
श्रावण माह 2024
- कामिका एकादशी (श्रावण कृष्ण) 31 जुलाई 2023
- पवित्रा एकादशी (श्रावण शुक्ल) 16 अगस्त 2023
भाद्रपद माह 2024
- अजा एकादशी (भाद्रपद कृष्ण) 29 अगस्त 2024
- पद्मा एकादशी (भाद्रपद शुक्ल) 14 सितंबर 2024
अश्विन माह 2024
- इंदिरा एकादशी (अश्विन कृष्ण) 28 सितंबर 2024
- पापाकुंश (अश्विन कृष्ण) 14 अक्टूबर 2024
कार्तिक माह 2024
- रमा एकादशी (कार्तिक कृष्ण) 28 अक्टूबर 2024
- हरिप्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल) 12 नवंबर मंगलवार 2024
मार्गशीर्ष माह 2024
- उत्पन्ना एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल) 11 दिसंबर 2024
- मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल) 11 दिसंबर 2024
- सफला एकादशी (पौष कृष्ण) 26 दिसंबर 2024
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